zindgi ki kavita मेरी स्वरचित कविता है । बड़ी नहीं है पर आशा करती हूँ मेरी यह कविता आपको पसंद आएगी –
Zindgi Ki Kavita जिंदगी की कविता
है अजब जिंदगी, कुछ भी कहती नही।
फिर भी देखो जरा चुप ये रहती नही।
खुद में सारी हदों को समेटे हुए,
रंग सारे जहाँ के लपेटे हुए,
है बडी बेफिक्र ये जिंदगी,
जो किसी के भी रोके से रुकती नहीं ।
रोना हंसना इसी के तो पहलू रहे,
जिसने जी जिंदगी उसने है ये सहे।
इसकी अपनी अदा है मेरे दोस्तो,
ये किसी की भी शर्तो पे चलती नहीं ।
इसने राहों मे कांटे बिछाए कई,
दर्द के हमको मंज़र दिखाए कभी,
जिसने मानी नहीं हार फिर भी कभी,
उसके माथे का ताज़ बनी जिंदगी।
छॉव और धूप है, हां कई रूप है,
है कहीं रात के अंधेरो सी तो,
कभी ये रौशनी की है एक नदी
हर पल एक नया रूख बदलती रही।
फिर भी हर हाल में चलती रही जिंदगी।
जिंदगी एक संघर्ष का काफ़िला,
जिसने मानी ना हार वही जीता यहां
पंछियों की तरह कलरव करती रही
सागर से शांत चलती रही जिंदगी
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