Nazariye Ka Fark नज़रिये का फर्क
Nazariye ka fark क्या मतलब है इस बात का ? आप जानते ही हैं ,नज़रिया, किसी चीज़ को हमारा देखने का तरीका होता है । किसी भी चीज़ को देखने का सबका अपना अलग – अलग तरीका होता है । ऐसे ही हम जब कोई काम कर रहे होते हैं , उस वक़्त हमारी जो भावना है वह हमारा उस कार्य को लेकर नज़रिया है ।
हो सकता है हम दुखी हों या हम खुश हों , दोनों प्रकार की परिस्थितियाँ हमारे द्वारा किए गए कार्य पर अपना -अपना प्रभाव डालती हैं । इसके अलावा हमारे नज़रिये का प्रभाव हमारे स्वभाव पर भी पड़ता है ।किसी भी कार्य को करते वक्त हमारा नजरिया कैसा है, इस बात का हमारे कार्य पर और हम पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
किसी कार्य को करते वक़्त हमारा नज़रिया कैसा है इसका हमारे काम पर बहुत प्रभाव पड़ता है ।
आपने ये बात स्वयं भी महसूस की होगी जब हम खुश हो कर कोई कार्य करते है तो उसका परिणाम हमेशा सुखद होता है । जब हम दुखी हो कर कोई काम करते है या काम करते समय परेशान होते हैं तो हमारा काम भी अच्छे से नहीं हो पाता है ।
इसलिए हमें कोई भी काम शुरू करने से पहले और काम के दौरान अपनी मनस्थिति को अच्छा रखना चाहिए । खुश हो कर काम करना चाहिए क्योंकि जिस भावना से हम काम करते है उसी तरह के परिणाम हमें मिलते हैं ।
सकारात्मक सोच और प्रसन्नता के साथ किए गए कार्य हमेशा सफल और सुखदायक परिणाम वाले होते हैं। इसके विपरीत यदि हम नाखुश हो कर या किसी भी प्रकार की नकरतमकता के साथ कार्य करते हैं तो उस कार्य का परिणाम अच्छा नही होगा क्योंकि करने वाले की भावना ही अच्छी नहीं है ।
मैं अपनी यही बात एक कहानी के द्वारा समझाना चाहूंगी –
Story : Nazariye ka fark (नज़रिये का फर्क )
एक समय की बात है एक विद्यालय भवन के निर्माण का कार्य चल रहा था। उसके निर्माण में तीन मजदूर लगे हुए थे। वे तीनों मजदूर पत्थर तोड़ने का कार्य कर रहे थे। वही रास्ते से एक सज्जन गुजर रहे थे।
उन तीनों मजदूरों को कार्य करता देख वे सज्जन मजदूरों के पास गए और उनसे बातें करने लगे। उन तीनों मजदूरों में से पहला मजदूर बड़ा ही दुखी लग रहा था। वहां से गुजरने वाले सज्जन ने उस मजदूर से उसके दुखी होने का कारण पूछा तो मजदूर ने कहा ‘क्या करूं साहब यह भी कोई काम है सारा दिन धूप में पत्थर तोड़ते रहो, इस छैनी और हथौड़ी की आवाज से सर में दर्द होने लगता है। कोई मतलब नहीं इस कार्य का ना मनमाफिक पैसे मिलते हैं और ना ही आराम दिन भर यहां पत्थर तोड़ते रहो।’
उन सज्जन ने उस मजदूर से बनने वाली इमारत के बारे में भी पूछा। इस पर भी उसका जवाब बड़ा अजीब था उसने कहा मुझे क्या मतलब है कुछ भी बन रहा होगा मुझे कौन सा यहां रहना है।
इसके बाद वे सज्जन दूसरे मजदूर के पास पहुंचे उससे भी उन्होंने वही सवाल पूछे जो उन्होंने पहले मजदूर से पूछे थे। यह मजदूर ना तो अपने काम से खुश था और ना दुखी । उसने यह सोच रखा था कि यह मेरा काम है और मुझे यह करना है बनने वाली इमारत के बारे में उसे भी कुछ खास पता नहीं था या पता करना ही नहीं चाहता था, दोनों बातें थी।
इसके बाद वे सज्जन तीसरे मजदूर के पास पहुंचे, वह मजदूर कोई गीत गुनगुनाते हुए बड़ी ही प्रसन्न मुद्रा में अपने काम में लगा हुआ था। उसे देख कर यह प्रतीत होता था कि वह अपने काम से बहुत खुश था।
कहीं से भी उसके थके होने का तनिक भी आभास नहीं हो रहा था। वह अपने कार्य को अन्य दोनों मजदूरों की तुलना में अधिक कुशलता से संपन्न कर पा रहा था।
सज्जन ने तीसरे मजदूर से कहा ” यह काम तो बड़ा बुरा है सारा दिन धूप में काम करना बड़ा ही दुख दायक है। सारा दिन इस छेनी हथौड़ी की आवाज से तुम तो तंग आ जाते होगें।”
यह सुनकर मजदूर ने कहा नहीं – नहीं साहब ऐसा नहीं है। मैं तो बहुत खुश हूं यह धूप ही तो हमारा गहना है और यह छेनी हथौड़ी की आवाज यह तो मेरे लिए एक मधुर संगीत की तरह है।
मुझे इस काम से कोई शिकायत नहीं है। यह काम मेरी रोजी-रोटी है। इस काम की वजह से मेरे घर में चूल्हा जलता है । मेरे बच्चों को दो वक्त की रोटी मिलती है।
यह काम बुरा कैसे हो सकता है, मैं तो इस काम को करके बहुत खुश हूं। मेरे इस काम को करने से यहां विद्यालय की एक बड़ी इमारत का निर्माण होगा।
जिसमें बहुत सारे बच्चे पढ़ेंगे और ज्ञान हासिल करेंगे तथा अपने जीवन में आगे बढ़ेंगे मैं तो यह सोच कर ही बहुत प्रसन्न हूं कि मुझे एक विद्यालय भवन के निर्माण में संलग्न होने का अवसर मिला।
वे सज्जन मजदूर के जवाब से बड़े ही प्रसन्न हुए अब उन्हें समझ में आया कि यह मजदूर बिल्कुल भी थका हुआ क्यों नहीं लग रहा जबकि बाकी के दोनों मजदूर थकान से चूर लग रहे थे क्योंकि वे लोग दिमाग से पहले ही थक चुके हैं। उन्हें अपने काम में कोई भी रुचि नहीं है। वे काम को सिर्फ कर रहे थे। जबकि तीसरा मजदूर अपने कार्य को पूर्ण उत्साह के साथ एक अच्छी भावना के साथ कर रहा था।
वह अपने कार्य के पूरे मजे ले रहा था और जब हम किसी काम को मजे के साथ करते हैं तो थकते नहीं है और वह कार्य भी अच्छे से संपन्न होता है।
उम्मीद है आपको यह short motivational story पसंद आएगी। कहानी पढ़ने के बाद कमेंट बॉक्स में जाकर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। धन्यवाद
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