Nothing is impossible असंभव इस दुनिया मे कुछ नहीं होता है । असंभव या impossible जैसा कुछ नहीं होता है ।
ये शब्द सिर्फ और सिर्फ हमारे दिमाग की उपज है । जितनी बार हम इस शब्द को सोचते हैं ये उतना ही विकराल रूप ले लेता है।
अगर हम किसी भी मुश्किल काम को करने का सोचते है ,और हम ये मान लेते हैं कि चाहे कुछ भी हो इस काम को करना ही है । तो कोई कारण नहीं की आप वह काम न कर पाएँ ।
और अगर आपके मन में संदेह होगा या आप सोचते हो की यह चीज तो असंभव है ,impossible है। तो फिर आप उसे नहीं कर पाएंगे ।
आप ये मान के चलिए कि असंभव यदि कुछ है , तो आपकी सोच की वजह से है । अगर आप जिद पे आ जाओ तो ऐसा कोई काम नहीं जो आपके लिए असंभव हो ।
असंभव कुछ नहीं यारों अगर तुम जिद पे आ जाओ नहीं मुश्किल कहीं कुछ भी अगर तुम जिद पे आ जाओ
इस दुनिया मे असंभव को संभव बनाने वाले लोगों की दास्तानें भरी पड़ी हैं जो आपको यह मानने को विवश कर देंगी कि दुनिया मे असंभव कुछ नहीं होता Nothing is impossible .
(1)
हैरी एंड्रयूस जो की ब्रिटिश ओलंपिक कोच थे , इन्होंने कहा था की एक मील दौड़ पूरा करने में 4 मिनट से ज्यादा का समय लगता है और इसे तोड़ना मानव के लिए असंभव है । उन्होंने ये माना की कोई भी आदमी कभी भी इतना सक्षम नहीं हो सकता कि वो एक मील की यात्रा 4 मिनट से पहले पूरी कर ले ।
लेकिन एक इंसान ऐसा भी था जिसने इस कथन को नकार दिया , उसने विश्वास नहीं किया इस बात पर । उसने नहीं माना इसे असंभव वो इंसान थे Roger Bannister .
Roger Bennister ने1954 यह यात्रा 3 मिनट 59 सेकंड 4 मिली सेकंड मे पूरी की । और एक असंभव को संभव कर दिखाया ।
यही नहीं दोस्तों roger bennister का यह रिकॉर्ड भी जल्दी ही टूट गया । एक school जाने वाले बच्चे ने ठीक 10 साल बाद 1964 मे यह पूरी दौड़ सिर्फ 3 मिनट 59 सेकंड मे पूरी की ।
Roger Bennister को रिकॉर्ड तोड़ने मे 1903 से 1954 तक का समय लगा जबकि उस बच्चे ने यह महज़ 10 साल बाद ही कर दिखाया । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस बच्चे के मन मे शुरू से था की जब roger bennister कर सकता है तो मैं भी कर सकता हूँ ।
(2)
सचिन तेंडुलकर ने जब पहली बार दोहरा शतक लगाया तब तक 2963 एक दिवसीय मैच खेले जा चुके थे । मतलब 2963 मैच खेले जाने तक किसी भी खिलाड़ी ने one day inter national क्रिकेट में double century नहीं मारी थी ।
उस समय तक एक दिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक असंभव माना जाता था । सचिन तेंडुलकर ने 2010 फरवरी मे इस असंभव चीज को संभव कर दिखाया ।
सचिन तेंडुलकर के बाद दुबारा ये कारनामा करने वाले खिलाड़ी थे वीरेंद्र सहवाग , इन्होंने सचिन के इतिहास रचने के मात्र 16 महीने के बाद ये काम फिर कर दिखाया ।
उसके बाद रोहित शर्मा ने दो बार दोहरा शतक लगाया one day international क्रिकेट में ।
जब कोई व्यक्ति कर देता है तो लगता है कि हम भी कर सकते है , और जब तक हमको विश्वास नहीं होता चीज़े मुश्किल लगती है । असंभव लगती है ।
(3)
डॉक्टर ली दी फारेस्ट ने कहा था की इंसान कभी भी चंद्रमा पर नहीं पहुँच सकता । इन्होंने पृथ्वी को विज्ञान की अधिकतम सीमा कहा ।
और यहाँ भी कोई था जिसने इस बात को नहीं सुना ।
Neil Armstrong ने 20th july 1969 को तमाम धारणाओ को नकारते हुए, पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा और ये चाँद पर पहुँचने वाले पहले व्यक्ति बने ।
आज के समय मे स्पेस मे यात्रा करना बड़ी बात नहीं रह गई है । आज लोग चाँद पर जमीन खरीदने की बात करते हैं ।
(4)
लॉर्ड केल्विन जो की एक बड़े scientist हुए , उन्होंने बयान दिया कि सिर्फ पक्षी ही उड़ान भर सकते है… हवा से भारी मशीनों का उड़ान भरना संभव नहीं है ।
वायु के सिद्धांत के अनुसार माना जाता है की हवा से भारी चीज उड़ नहीं सकती ।
इस कथन पर तमाचा मारा राईट ब्रदर्स ने, ये दो भाई थे जिन्होंने साइकिल के पार्ट्स से उड़ने वाली पहली मशीन बनाई ।
बेशक इन्हे 16 साल लगे पर इंसान के उड़ने का सपना, इन्होंने साकार किया जिसे असंभव माना जाता था । इसलिए असंभव इस दुनिया मे कुछ नहीं होता… Nothing is impossible
(5)
Franklin Roosewelt एक ऐसे व्यक्ति थे जो शारीरिक रूप से विकलांग थे ।तमाम शारीरिक विसंगतियों के बाद भी वे अमेरिका जैसी महा शक्ति के न सिर्फ राष्ट्रपति बने बल्कि 12 वर्षों तक राष्ट्रपति रहे।
आमतौर पर ऐसे व्यक्ति अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाते हैं , उस पर ऐसे किसी आदमी का amerikan president जैसे पद पर पहुंचना असंभव लगता है ।
लेकिन ये असंभव नहीं है ऐसा हुआ है और होता रहेगा । क्योंकि इस दुनिया में असंभव कुछ नहीं है Nothing is impossible .
(6)
आप सभी ने अरुणिमा सिन्हा और सुधा चन्द्रन का नाम सुन ही होगा । अरुणिमा सिन्हा और सुधा चन्द्रन दोनों मे कॉमन बात है कि दोनों का ही एक पैर artificial है ।
अरुणिमा सिन्हा एक प्रसिद्ध पर्वतारोही हैं , जो माउंट एवरेस्ट पर विजय हासिल कर चुकी हैं। सोचिए तो, क्या ये आपको कहीं से भी संभव लगता है ?
सोचिए जरा एक लड़की जिसका एक पैर नहीं है ,माउंट एवरेस्ट का सोच भी कैसे सकती है । 8000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई , हाड़ गला देने वाली ठंड , रास्ते मे पड़ी सैंकड़ों पर्वतारोहियों की लाशें ,कोई भी मुश्किल उसके इरादों को झुका नहीं पाती ।
असंभव लगने वाली इस बात को कर के दिखाया अरुणिमा सिन्हा ने और फतेह पाई एवरेस्ट पर ।
सुधा चन्द्रन डांस की दुनिया का जाना माना नाम है । एक पैर के न होने पर जहां साधारण रूप से चलना भी मुश्किल होता है , वहाँ सुधा चन्द्रन गजब की डान्सर है ।
इन दोनों शख्सियतों ने न सिर्फ असंभव को संभव किया बल्कि ये सिरमौर हैं अपने अपने क्षेत्रों की ।
अगर आपने ठान लिया है ,तो असंभव कुछ नहीं होता दुनिया में Nothing is impossible
(7)
अल्बर्टआइंस्टीन एक महान वैज्ञानिक, जिनको शुरू मे एक मंदबुद्धि बालक के रूप मे जाना जाता था । बचपन में जब अल्बर्ट साहब बहुत छोटे थे, तो इनके स्कूल के प्रिन्सपल ने इन्हे स्कूल से निकालते हुए इनकी माँ को एक चिट्ठी दी ।
घर आने के बाद जब इन्होंने अपनी माँ से पूछा की चिट्ठी मे क्या लिखा है। तो इनकी माँ ने कहा कि इसमे लिखा है कि आपका बेटा बहुत होशियार है ,इतने बुद्धिमान बच्चे को पढ़ने के लिए हमारे पास अच्छे अध्यापक नहीं है । इसलिए आप अपने बच्चे को अपने घर पर पढ़ाएँ ।
उस घटना के बाद इनकी माँ ने इन्हे घर पे ही पढ़ाया लिखाया । अपनी अद्भुत प्रतिभा और क्षमता के बल पर इन्होंने एक सफल वैज्ञानिक बन कर दिखाया ।
अपनी माँ की मौत के कई साल बाद जब इन्हे वो खत मिला तो उसे पढ़ के इनके होश उड़ गए ।
उस चिट्ठी मे लिखा था कि आपका बेटा मंद बुद्धि है । ये किसी भी स्कूल मे जाने लायक नहीं है । इसे अपने घर में ही रखिए ।
इस तरह एक मंद बुद्धि बच्चा बड़ा हो कर बड़ा वैज्ञानिक बनता है । असंभव सी बात लगती है ,पर ये संभव हुआ एक माँ की मेहनत और विश्वास से । क्योंकि उनकी माँ ने इस बात को स्वीकार ही नहीं किया कि अल्बर्ट आइंस्टीन मंद बुद्धि थे ।
इतने उदाहरण इतिहास मे भरे पड़े हैं जिन्होंने उस कार्य को संभव कर दिखाया जो लोगों को असंभव लगता था । जिन्होंने अपनी किसी भी कमी को अपने रास्ते का कांटा नहीं बनने दिया , और कामयाबी की नई इबारत लिखी ।
इसलिए मेरा मानना है कि Nothing is impossible असंभव इस दुनिया मे कुछ नहीं होता । इस दुनिया मे हर वो काम संभव है जो आप करना चाहते हैं ।
पर शर्त है कि आपके मन मे अपनी कामयाबी को ले कर कोई संदेह न हो । अगर आपने भी असंभव मान लिया तो फिर वो कार्य नहीं हो पाएगा ।
सब कुछ हमारे जज्बे पर निर्भर करता है , हमारी मेहनत पर निर्भर करता है । किसी ने ये सच ही कहा है की – कौन कहता है की आसमां मे छेद नहीं होता, एक पत्थर तो ज़रा तबियत से उछालो यारों