योगा एक वरदान (YOGA)
योगा, ध्यान और शारीरिक व्ययाम का मिला हुआ रूप है। भारत की पारंपरिक विधा है। जो बहुत समय पहले से हमारी ऋषि मुनियों द्वारा संपन्न की जा रही है। इसी कारण हमारे ऋषि मुनि और पुराने समय के लोग बिना किसी बीमारी और तकलीफ लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने में कामयाब रहे हैं। परंतु आज भारत में भी पश्चिमीकरण की होड़ सी मची हुई है। जिसके कारण हम अपनी पुरानी परंपराओं को पुरानी विधाओं को लगभग भूलते जा रहे हैं। योग भी उनमें से एक है। योग के जितने फायदे हैं। वे तो शायद पूरे मैं आपको बता भी न पाऊ। यह हमारे मन को शांत और तन को प्रबल बनाता है। इससे हम कई असाध्य बीमारियों से ग्रसित होने से बच सकते हैं। यहां तक की इसके द्वारा कई बीमारियों का बिना किसी दवाइयों की सफल इलाज किया जा सकता है। आज जब भारत में लगातार डिप्रेशन और आत्महत्या जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे वक्त में इनसे छुटकारा पाने का योग से बेहतर और कोई विकल्प नहीं। योग एक थेरेपी की तरह काम करता है। इसके परिणाम कुछ देर से अवश्य आते हैं परंतु चमत्कृत कर देने वाले होते है।
योगासन के प्रकार (Types of Yoga)
योगासन कई प्रकार के होते हैं वैसे कुछ निम्न है
1. प्राणायाम
2. अनुलोम विलोम
इस आसन के लिए चौकड़ी मारकर बैठ जाएं। कमर सीधी रखें हाथों को घुटनों पर सीधे रखें। कंधों को ढीला छोड़ दें। और आंखें बंद करे।
अब एक हाथ को घुटने से हटाए और कोहनी को मोड़कर नाक के पास ले जाएँ । सीधे हाथ का प्रयोग कर रहे हैं तो कनिष्ठा और अनामिका उंगलियों को बाएं नासिका पर और अंगूठे को दाईं नासिका पर धीरे-धीरे गहरी सांस में अंगूठे से नासिका को बंद करें।
बाएं नासिका से धीरे-धीरे सांस बाहर निकाले। यही प्रक्रिया उल्टे हाथ से भी करें। और इसको 10 से 12 बार दोहराएं । इस प्राणायाम से सांस लेने और छोड़ने की क्षमता बेहतर होती है।
2. वशिष्ठ
सबसे पहली कमर के बल लेट पैरों को ऐसे मोड़े की एडी हिप्स के पास और घुटने आसमान की ओर हों । दोनों हाथों को फैलाकर जमीन से लगा ले । और पूरी तरह रिलैक्स करें ।
अब सांस छोड़ते हुए पेट अंदर करें और फिर सांस लेते हुए पेट को फुलाए इस प्रक्रिया को भी 8 से 10 बार दोहराएं
3 ध्यान (Meditation)
किसी खुली और शांत जगह पर अपनी आराम करो दायक अवस्था में बैठ जाएं। शरीर को रिलैक्स करें । हाथों को घुटनों पर रखें।
अपनी आंखें बंद करके अपना संपूर्ण ध्यान अपनी आने जाने वाली सांस पर केंद्रित करें। प्रारंभ में ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। परंतु धीरे-धीरे अभ्यास करने से यह होने लगता है रोज कम से कम 15 से 20 मिनट यह प्रक्रिया करें।
इस प्रक्रिया को करने से दिमाग की एकाग्रता बढ़ती है । दिमाग शांत रहता है । याददाश्त बढ़ती है।
2.योगासन
1. भुजंगासन
इसे करने के लिए पेट के बल लेट जाएं। थोड़ी को जमीन से लगाएं। पैरों के बीच में एक फुट का फासला रखें। अपनी हथेलियां सीने के पास जमीन पर लगा ले ।
अब अपनी आंखें बंद करें। और सांस लेते हुए धीरे-धीरे पहले थोड़ी फिर शरीर की आगे के हिस्से को जितना उठा सकते हैं उतना उठाएं ।
ध्यान रखें कि वजन हथेलियों पर ही रहे जब शरीर उठ जाए तो सांस छोड़ दें । और जब तक आप इस अवस्था में रुक सकते हैं। तब तक रुके और सांस छोड़ते हुए वापस पुरानी अवस्था में आ जाएं।
2. धनुरासन
पिछले आसन की तरह इसमें भी पेट के बल लेट जाएं । अब पैरों को मोड़े और हाथों को पीछे ले जाते हुए पैर के पंजे पकड़ लें ।
गहरी सांस लेते हुए पैरों और हाथों को ऊपर की ओर खींचें। और इस तरह खींचें की शरीर का आकार धनुष जैसा हो जाए।
अब कुछ देर के लिए रुके सांस लेते और छोड़ते रहे और आराम से पुरानी अवस्था में आ जाएं।
3 उष्ट्रासन
सबसे पहले घुटनों के बल खड़े हो कमर सीधी कर लें । आसमान की ओर हथेलियां कमर पर ऐसे रखें कि अंगूठा आगे और उंगलियां पीछे रहें।
अब सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को पीछे की ओर ले जाएं। हाथों से शरीर के निचले हिस्से को सपोर्ट दें। शरीर को पीछे ले जाते समय खिचाव महसूस करें।
शरीर का बैलेंस बिगड़ रहा है तो हाथों को पैरों के तलवे पर रख सकते हैं। शरीर को पीछे ले जाने के बाद कुछ देर रुके और सांस छोड़ते हुए वापस घुटनों के बल खड़े होने की स्थिति में आजाएँ। कम से कम 2 से 3 बार इस आसन को दोहरा
4. शशांक आसन
इसमें घुटनों को जमीन पर और पैर के पंजे बाहर रखते हुए पंजों पर बैठ जाएं मतलब वज्रासन में बैठने को फैला है और हाथ आगे करते हुए शरीर को भी आगे की ओर झुका दे शरीर इस प्रकार झुका हो कि थोड़ी और हथेलियां जमीन से लगी हो इस दौरान सांस लेते और छोड़कर हैं उसके बाद उन्हें अपनी अवस्था में लौट आए
ताड़ासन
ताड़ासन मैं सीधे खड़े हो जाएं। इसके पश्चात सांस लें और सांस छोड़ते हुए अपने हाथों को ऊपर ले जाएं।
सर के ऊपर अपने दोनों हाथों को उंगलियों की सहायता से जोड़ दें और ऊपर की ओर स्ट्रेच करें। इसके बाद किसी एक पैर को दूसरे पैर के घुटने से लगाकर खड़े हो कर स्ट्रेच करें । इस आसन में संपूर्ण शरीर में आप खिचाव महसूस करेंगे ।
पश्चिमोत्तानासन
सर्वप्रथम जमीन पर बैठकर पैर आगे सीधे फैला लें। कमर सीधी रखें अपनी दोनों बाहें ऊपर उठाएं। उंगलियां आसमान की ओर हो अब गहरी सांस लेते हुए कमर आगे झुका लें ।
शरीर के ऊपरी भाग को आगे की ओर खींचे। हाथों को पैरों के पंजों पर ले जाएं। अगर हाथ पैरों के पंजे तक नहीं जा पा रहे हैं तो जहां तक जा रहे हैं वहीं तक कोशिश करें ।
सर को झुकाते हुए पैरों से छूने की कोशिश करें । अगर ऐसा ना हो पाए तो कोई बात नहीं निरंतर अभ्यास के बाद यह होने लगेगा।
यह योग (YOGA) शरीर मे लचीलापन लाने मे सहायक है
शवासन
अपने योगाभ्यास के अंत में इस आसन को अवश्य करें। क्योंकि यह हमारे शरीर को उन्हें उसी आरामदायक अवस्था में लाने में मदद करता है।
हमारे हृदय की धड़कन को नियमित करता है। इसमें पीठ के बल आराम स्थिति में लेट जाएं । शरीर को पूर्ण रूप से ढीला छोड़ दें। अपनी आंखें बंद करें। और करीब 2 मिनट तक इसी अवस्था में रहे।
योग का महत्व (IMPORTANCE OF YOGA )
दैनिक जीवन मे योग का बहुत महत्व है |योग हमारे स्ट्रैस को कम करता है हमारी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ,जिससे हम कम बीमार पड़ते है|इसके द्वारा शरीर का वजन नियमित रहता है|
योग से शरीर का स्टेमिना बढ़ता है ,मन प्रसन्न रहता है। और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है ।