Zindgi Ki Qaid जिंदगी की क़ैद
यहाँ हर शख्श हर पल हादसा होने सेडरता है,
खिलौना है जो मिट्टी का फनाह होने से डरता है ।
मेरे दिल के किसी कोने मे एक मासूम सा बच्चा ,
बड़ों की देख कर दुनियाँ बड़ा होने से डरता है ।
बहुत मुश्किल नहीं है आईने के सामने जाना
हमारा दिल मगर क्यूँ सामना होने से डरता है ।
ना बस में जिंदगी इसकी ना काबू मौत पर इसका ,
मगर इंसान फिर भी कब खुदा होने से डरता है।
अजब यह ज़िंदगी की क़ैद है दुनियाँ का हर इंसान,
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है ।
Zindagi Shayri शीशे का घर
शीशे का जो मेरा घर नहीं होता ,
किसी के हाथ में पत्थर नहीं होता ।
कैसे बतायें की हुस्न बड़ा है या इश्क़ ,
सामना कभी खुलकर नहीं होता
कभी एक नज़र हो जाता है प्यार,
कभी साथ रह कर उम्र भर नहीं होता ।
प्यार से ही बंता है घर आशियाँ ,
ईंट पत्थर से बना मकान घर नहीं होता ।
इस भरम में लोग मरते व जीते रहे ,
फूलों के हाथ मे खंजर नहीं होता ।
पीना पड़ता है जमाने का जहर,
नाम से कोई शंकर नही होता
मेरा गाँव Zindagi shayri
बड़ा भोला है बड़ा सच्चा है ,
तेरे शहर से तो मेरा गाँव अच्छा है ।
वहाँ मैं मेरे पिता के नाम से जाना जाता हूँ,
और यहाँ मकान नंबर से पहचाना जाता हूँ।
यहाँ कोठी बंगला और कार है ,
वहाँ संस्कार और मेरा परिवार है ।
मत समझो कमजोर हमें जो हम गाँव से आए है ,
तेरे शहर के बाज़ार मेरे गाँव ने ही सजाये हैं ।
खैरात zindagi shayri
खुशियों की चाहत मे मुझको गम की ये सौगात मिली ,
सोये -सोये से कुछ दिन और जागी-जागी रात मिली।
कुछ टूटे ख्वाबों के टुकड़े कुछ बीते लम्हों की याद ,
तन्हाई और अश्कों की मुट्ठी भर खैरात मिली ।
अपनी जानिब से हर कीमत पर वफा निभाने की खातिर ,
दांव लगा के जीवन को उलफत की ये दाद मिली ।
याद नहीं क्या नाम है मेरा पता नहीं की कौन हूँ मैं ,
बेनाम से कुछ रिश्तों की मुझको ये सौगात मिली ।